Mahila Awaaz: Railway Announcement se lekar Virtual Assistants tak, kyo hai Pehli Pasand? - Female Voice Impact: from railway announcements to virtual assistants

Mahila Awaaz: Railway Announcement se lekar Virtual Assistants tak, kyon hai Pehli Pasand,Female voice Impact: from railway announcements to virtual assistants
Why Female Voice As a First Choice in Virtual World

महिला आवाज:रेलवे अनाउंसमेंट से लेकर वर्चुअल असिस्टेंट्स तक, क्यों है पहली पसंद?

क्या आपने कभी सोचा है कि जब भी आपके Smart Phone या Smart Devices में मौजूद Virtual Assitants से आपने Help ली होगी, तो उसकी आवाज़ हमेशा महिला क्यों होती है?

सिर्फ यहीं नहीं, Railway Station से लेकर Airport पर होने वाली अनाउंसमेंट में, Car में लगे GPS या Google Map से लेकर IVR (Interactive Voice Response) में, ATM में, और यहां तक कि Google Assistant जैसे ज्यादातर Virtual Assistant में भी महिला की ही आवाज़ होती है, लेकिन क्यों? क्या महज यह सिर्फ एक संयोग है, या इसके पीछे कोई ठोस कारण है?

तो चलिए समझते हैं इस Interesting Fact को, कि महिला आवाज़ का तकनीकी दुनिया में इतना महत्त्व बढ़ने के पीछे क्या वजह है:

महिला आवाज़ का चयन: एक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

कई मनोवैज्ञानिक अध्ययन और शोध बताते हैं कि महिलाएं अपनी आवाज़ में प्राकृतिक रूप से अधिक नरमी, सहानुभूति और दयालुता व्यक्त करती हैं। इस कारण लोग महिला आवाज़ को ज्यादा पसंद करते हैं और इसे सुनकर उन्हें एक तरह की सहजता और आराम का अहसास होता है। खासकर जब बात डिजिटल असिस्टेंट्स या ऑटोमेटेड घोषणाओं की होती है, तो महिला आवाज़ का चुनाव ज्यादा प्रभावी माना जाता है।

इसके पीछे एक और कारण यह हो सकता है कि पुरुषों की आवाज़ अक्सर ज्यादा सख्त और आदेशात्मक लग सकती है, जबकि महिला आवाज़ को सहज, सहायक और Friendly माना जाता है। इस प्रकार महिला आवाज़ उपभोक्ताओं के साथ एक अच्छा संबंध स्थापित करने में मदद करती है, जो कि डिजिटल उपकरणों और सेवाओं के प्रभावी उपयोग के लिए आवश्यक होता है।

एडवरटाइजिंग नीति और कंपनियों का दृष्टिकोण

कंपनियों के लिए यह एक मार्केटिंग रणनीति भी है। जब कोई कंपनी अपने वर्चुअल असिस्टेंट्स के लिए महिला आवाज़ का चयन करती है, तो उनका उद्देश्य यह होता है कि वे Users से अधिक जुड़ाव महसूस कराएं। महिला आवाज़ों में एक प्रकार की सहजता होती है, जो उपयोगकर्ताओं को अधिक आकर्षित करती है और वे इसका उपयोग करना पसंद करते हैं। 

कंपनियां चाहती हैं कि उनके उत्पादों का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा लोग करें, और महिला आवाज़ें उस जुड़ाव को पैदा करने में मदद करती हैं, इसलिए कंपनियां महिला आवाज़ को प्राथमिकता देती हैं जिससे यह ग्राहकों को एक Friendly Experience दे सकें।

 

वर्चुअल असिस्टेंट्स में महिला आवाज़ की भूमिका

आजकल स्मार्टफोन, स्मार्ट स्पीकर्स और वर्चुअल असिस्टेंट्स जैसे 'सिरी', 'एलेक्सा', 'गूगल असिस्टेंट' में महिला आवाज़ का उपयोग आम हो चुका है। ये डिजिटल असिस्टेंट्स हमसे communicate करते समय महिलाओं की आवाज़ में बोलते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि महिलाएं आमतौर पर अधिक Helpful और सहयोगी मानी जाती हैं।

वर्चुअल असिस्टेंट्स का उद्देश्य User को अधिक सहज और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करना है। महिला आवाज़ इस कार्य में मददगार साबित होती है, क्योंकि यह तकनीकी टूल्स को एक Human Touch देती है।

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि जब हम किसी से सवाल पूछते हैं या किसी कार्य को Execute करने के लिए निर्देश प्राप्त करते हैं, तो एक सहायक और दयालु आवाज़ हमारे मानसिक दबाव को कम करती है, और हम उस तकनीकी उपकरण से जुड़ाव महसूस करते हैं।

हालाँकि कुछ प्लेटफॉर्म्स अब Users को अपनी प्राथमिकता के हिसाब से Assistants की आवाज़ को महिला या पुरुष के रूप में बदलने का ऑप्शन भी देने लगे हैं, उदाहरण के लिए: सिरी और गूगल असिस्टेंट जैसी सेवाओं में आप अपनी आवाज़ का चयन कर सकते हैं, इससे यह स्पष्ट होता है कि कंपनियां उपयोगकर्ताओं की प्राथमिकताओं का भी सम्मान करती हैं।

 

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महिला आवाज़ के कुछ मतभेद और सामाजिक प्रभाव

जैसे कि हर चीज़ के दो पहलू होते हैं, तो इसमें भी कुछ लोगों का नज़रिया अलग हो सकता है और उसे लेकर मतभेद हो सकते हैं, जैसे कि यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या वर्चुअल असिस्टेंट्स में महिला आवाज़ों का प्रयोग करना लिंगभेदी (sexist) है? क्योंकि महिलाएं ज्यादातर सहायक भूमिकाओं में ही क्यों होती हैं? क्या यह उनके योगदान और क्षमताओं को कम करके आंकने का तरीका है? 

यह दृष्टिकोण महिलाओं को केवल सहायक के रूप में दिखाता है, जिससे उनकी वास्तविक क्षमताओं का पूरी तरह से मूल्यांकन नहीं किया जाता, लेकिन यह सिर्फ एक पहलू है।

यहीं अगर इसके दूसरे पहलू पर बात की जाए तो इसे ऐसे भी देखा जा सकता है कि, महिला आवाज़ की तकनीकी दुनिया में बढ़ती हुई भूमिका न केवल एक डिजिटल बदलाव का संकेत है, बल्कि यह महिलाओं के समाज में बढ़ते स्थान और सशक्तिकरण की ओर भी इशारा करता है।

 जब हम सार्वजनिक स्थानों पर या तकनीकी उपकरणों के माध्यम से महिला आवाज़ सुनते हैं, तो यह एक संदेश देता है कि महिलाएं अब हर क्षेत्र में पुरुषों के समान रूप से प्रभावी हैं। यह एक प्रकार से महिलाओं के समाज में उनके योगदान को मान्यता देने का तरीका भी बन चुका है।

विशेष रूप से, जब रेलवे स्टेशन पर ट्रेन की घोषणाएं महिला आवाज़ में होती हैं या जब हम वर्चुअल असिस्टेंट्स से बात करते हैं, तो यह हमें यह एहसास दिलाता है कि तकनीकी और सार्वजनिक जीवन में महिलाएं अपनी आवाज़ और उपस्थिति से बदलाव ला रही हैं। 

महिला आवाज़ न केवल एक सूचना देने का माध्यम है, बल्कि यह महिलाओं के अधिकारों, समानता और उनकी सामाजिक भूमिका को भी उजागर करती है।

अंतिम विचार:अंत में एक महिला होने के नाते मैं तो यही कहूंगी कि ये बदलाव स्वागत योग्य है। और आने वाले समय में भी यही उम्मीद करूंगी कि, महिला आवाज़ न केवल व्यक्तिगत सहायक उपकरणों का हिस्सा बनेगी, बल्कि यह अधिक संवेदनशील, इन्फॉर्मेटिव और ह्यूमैनॉइड (मानव जैसा) होगी। यह तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को और अधिक बढ़ावा देगा और समाज में महिलाओं की आवाज़ को और भी मजबूत बनाएगा।

दोस्तों उम्मीद है रेलवे अनाउंसमेंट से लेकर वर्चुअल असिस्टेंट्स तक, महिला आवाज:क्यों है पहली पसंद?” ये Interesting Fact आप लोगों को कुछ ज्ञानवर्धक लगा होगा, कमेंट करके जरूर बताएं आपकी राय मेरे लिए मोटिवेशन का काम करेगी।

| | धन्यवाद | | 

 

 

 

 

 

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